मध्य प्रदेश के 45 हजार बिजली आउटसोर्स कर्मियों का विभागीय संविलियन करने एवं लगभग 7 हजार संविदा कर्मियों को नियमित करने के माँग को लेकर कामबंद आंदोलन राजधानी सहित मप्र के सभी 52 जिलों में आज दूसरे दिन भी जारी रहा। यह काँट्रेक्चुअल कर्मचारी इस बात पर अड़े हुए हैं कि पिछले 5 सालों में 500 ज्ञापन मुख्यमंत्री को भेजे गए, पर अब प्रदेश के मुख्यमंत्री सीधे तौर पर बातचीत कर बीच का रास्ता निकालें।
बिजली आउटसोर्स संविदा कर्मियों ने पं. खुशीराम शर्मा मैदान पर धरना प्रदर्शन के बाद टीन-शेड स्थित प्राचीन राम मंदिर में राज्य सरकार की सद्बुद्धि हेतु महायज्ञ किया, यह यज्ञ सभी 52 जिलों में आज किया गया। मप्र बिजली आउटसोर्स कर्मचारी संगठन के प्रांतीय संयोजक मनोज भार्गव एवं संविदा अधिकारी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष अरूण ठाकुर का कहना है कि ’जब देश में आन्ध्र प्रदेश, उत्तराखण्ड, उड़ीसा, बिहार, पंजाब, हिमाचल प्रदेश जैसे राज्य अपने यहाँ के संविदा कर्मियों को नियमित कर चुके हैं, तो मप्र सरकार नियमित करने से क्यों कतरा रही है?’
मनोज भार्गव का कहना है कि मप्र में कई वर्षों से कार्यरत बिजली आउटसोर्स कर्मियों को उनकी योग्यता व दक्षता के आधार पर छोटे व लघु केडर बनाकर उनका विभागीय संविलियन किया जाये। इससे मप्र सरकार के 25 प्रतिशत 300 रुपए की राशि प्रतिवर्ष बचेगी और ठेका कर्मियों को ठेकेदारों के शोषण से मुक्ति मिलेगी। मप्र बिजली सेक्टर में गुजरात मॉडल अपनाया जाये, जहाँ मात्र 2 प्रतिशत आउटसोर्सिंग है, जबकि मप्र में 98 प्रतिशत आउटसोर्सिंग लागू है। जिसके विरोध में कल तीसरे दिन सोमवार को भी बिजली आउटसोर्स संविदा कर्मचारी अपना आंदोलन जारी रखेंगे।
धरना-प्रदर्शन एवं सद्बुद्धि महायज्ञ में प्रमुख रूप से धनप्रसाद अहिरवार, विजय पाराशर, निखिल यादव, संदीप निंबोलकर, शेखर सिंह रघुवंशी, आनंद मालवीय, विकास राड़वे, संदीप वाहने प्रमुख रूप से शामिल हुए।