मध्य प्रदेश की विद्युत कंपनियों में विभिन्न निजी कंपनियों के अंतर्गत कार्य करने वाले आउटसोर्स कर्मचारियों का लगातार शोषण किया जा रहा है और उन्हें कार्य के दौरान भेदभाव का भी शिकार होना पड़ता है। आउससोर्स कर्मियों को जहां उनका पूरा पारिश्रमिक नहीं मिल पाता, वहीं उन्हें अवकाश की पात्रता भी नहीं मिल रही है।
इसके अलावा विद्युत कंपनियों के अधिकारी बढ़ते वर्कलोड और नियमित कर्मियों की कमी के चलते आउटसोर्स कर्मियों से नियम विरुद्ध जाकर करंट का कार्य करने का दबाव बनाते हैं, जिससे उनके साथ आये दिन जानलेवा घटनायें घटित हो रही हैं और इसमें सैकड़ों आउटसोर्स कर्मी असमय मौत के मुंह में समा चुके हैं।
आउससोर्स कर्मियों की परेशानी और ठेकेदारों द्वारा किये जा रहे शोषण को देखते हुये मप्रविमं तकनीकी कर्मचारी संघ ने ये मुद्दा उठाते हुये प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर को पत्र लिखकर आउससोर्स कर्मियों के लिये भी मानव संसाधन नीति बनाने का अनुरोध किया था।
तकनीकी कर्मचारी संघ के महासचिव हरेन्द्र श्रीवास्तव ने बताया कि ऊर्जा मंत्री को लिखे पत्र में आउटसोर्स कर्मियों के लिये मानव संसाधन नीति बनाने की मांग की गई थी। संघ के पत्र पर संज्ञान लेते हुये ऊर्जा मंत्री ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर इस पर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने को कहा है।
हरेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा कि संघ के पत्र पर ऊर्जा मंत्री ने सकारात्मक कार्यवाही की है, जिस पर संघ उनका सादर धन्यवाद करता है। वहीं उन्होंने कहा कि प्रदेश की विद्युत कंपनियों में कार्यरत आउटसोर्स कर्मियों के लिये भी मानव संसाधन नीति बनाना बहुत जरूरी है, ताकि उन्हें पूरा पारिश्रमिक मिले, अवकाश की पात्रता हो और उनकी जान को जोखिम में डालने वाले कार्य न कराये जायें।