अनसुनी आवाज़: दुपिंदर गुजराल

मेरी किलकारियों को सुन कर तो देखो
मेरी आवाज़ को ऊँचाइयों की बुलंदियों को छूते हुए तो देखो
मुझ पर विश्वास करके तो देखो
मुझे अपनी ज़िंदगी का अहम हिस्सा मानकर तो देखो
मुझे दुनिया में लाकर तो देखो

मुझे बिना संसार में लाए
मेरी आँखें खुलने से पहले
कैसे जान लोगे कि मैं भी सरोजिनी नायडू की तरह
सफलता के मुक़ाम पर पहुँच सकती हूँ
जैसे वह ‘भारत कोकिला’ के नाम से प्रसिद्ध हुई
क्या पता एक दिन मैं भी किसी नाम से प्रसिद्ध हो जाऊँ
मुझे दुनिया में लाकर तो देखो
मेरी बात सुनकर तो देखो

कौन जाने मैं भी कल्पना चावला की तरह
अंतरिक्ष में जाने वाली महिला के नाम से शोहरत कमाऊँ
क्या पता मैं भी विज्ञान की दुनिया में अपना सिक्का जमाऊँ
क्या पता मैं भी खेल जगत में सितारा बनकर चमकने लगूँ
सानिया मिर्ज़ा, सायना नेहवाल, मैरी कॉम
जैसे दिग्गज खिलाड़ियों की तरह
अपने माँ बाप का नाम रोशन करूँ

मुझे बिना जाने मत मारो
मुझे भी लड़कों की तरह
इस संसार को देखने का हक़ है
यह हक़ मुझसे मत छीनो
एक बार मुझ पर भी भरोसा करके तो देखो
एक बार मुझे भी इस जगत में लाकर तो देखो

क्या पता मैं भी मदर टेरसा की तरह
अपना जीवन लोग भलाई के काम में समर्पित करदूँ
लोग उन्हें आज भी दिल की गहराइयों से याद करते हैं
क्या पता मैं भी उनकी तरह लोकप्रियता हासिल करूँ
मत मारो मुझे कोख में
मुझे दुनिया में आने तो दो

मुझे मारने से कुछ हासिल नहीं होगा
समझाना है तो इस दुनिया में मुझसे
आगे समझने वाले लड़कों को समझायें
तमीज़ में रहना सिखायें
बराबर का हक हमें भी देने को बतायें
ज़रूरी नहीं मैं बोझ ही बनूँ
बोझ उठाने का ज़रिया भी तो बन सकती हूँ
मुझे एक मौक़ा तो दे
मुझे दुनिया में आने तो दो

दुपिंदर गुजराल