लड़कियाँ- निशांत खुरपाल

वो लड़की इश्क़ को नहीं जानती,
फिर भी इश्क़ को ही है खुदा मानती
बेवफ़ाई नाम का लफ्ज तो, उसने सुना ही नहीं,
वो इश्क़ में वफ़ा को ही है खुदा मानती

अक्सर बेवफ़ा होने की तोहमत लगती है उनपर,
पर लड़कों से बेहतर इश्क़ को लड़कियाँ है जानती

एक बार जिस पर ईमान ले आए लड़कियाँ,
फिर चाहे अच्छा हो या बुरा, ताउम्र हैं उसे खुदा मानती

सिर्फ़ हमबिस्तर होना ही इश्क़ नहीं होता ‘खुरपाल’
इज्ज़त दे देती है इश्क़ में लड़कियाँ
और इज्ज़त से बढ़कर भी कुछ नहीं माँगती

-निशांत खुरपाल ‘काबिल’
अध्यापक, कैंब्रिज इंटरनेशनल स्कूल, पठानकोट