रंग: जसवीर त्यागी

गुलाबी रंग बुलाता है
नीले रंग को अपने पास

नीला रंग
शरमाता है, लजाता है
इंकार करता है

गुलाबी रंग
अपनी बाहें खोल देता है

फिर बुलाता है
नीला रंग
हँसता है
दूर खड़ा हुआ
देखता है सब
नीला रंग

वहीं दिखता है दूर खड़ा
अपनी जगह पर

वास्तव में नीला रंग
खुद को रोक नहीं पाता
समा जाता है
गुलाबी रंग में

फिर दोनों मिलकर
आसमान की तरफ निगाह उठाकर देखते हैं

तो जान पाते हैं

आसमान
आधा नीला
और आधा गुलाबी हो चला है

जसवीर त्यागी