सूनी नाव: जसवीर त्यागी

एक सूनी नाव
लहरों से टकराती हुई
नदिया के बीचोबीच
पहुँच गयी है

लहरें कभी उसे
इस तरफ ठेलती हैं
कभी उस तरफ

नाव यहाँ-वहाँ डोल रही है
नहीं मालूम कहाँ पहुँचेगी

अगर कोई खेवैया न हो
तो नाव की
कोई मंजिल
नहीं होती

जसवीर त्यागी