शरद पूर्णिमा को जिसे कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा भी कहते हैं। ज्योतिष के अनुसार, पूरे साल में केवल इसी दिन चन्द्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। हिन्दू धर्म में इस दिन कोजागर व्रत माना गया है। इसी को कौमुदी व्रत भी कहते हैं। इसी दिन श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था। मान्यता है इस रात्रि को चन्द्रमा की किरणों से अमृत टपकता है, इसलिये शरद पूर्णिमा को भारत में खीर बनाकर रात भर चाँदनी में रखने का विधान है, कहते हैं ऐसा करने से खीर में अमृत के गुण आ जाते हैं।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार आज शरद पूर्णिमा पर 30 साल बाद बेहद दुर्लभ योग बन रहा है। आज चंद्रमा पर बृहस्पति की दृष्टि पड़ने से अत्यधिक शुभ गजकेसरी योग बन रहा है, इसके अलावा आज चंद्रमा और मंगल के मध्य आपस में दृष्टि संबंध होने से बहुत ही दुर्लभ महालक्ष्मी योग भी बन रहा है। शरद पूर्णिमा पर शुभ योगों के बनने से इस पूर्णिमा का महत्व और अधिक बढ़ जाएगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार 13 अक्टूबर की रात 12:36 मिनट से 14 अक्टूबर की रात 2:38 मिनट तक पूर्णिमा तिथि रहेगी। वहीं आज शाम 5:26 बजे चंद्रोदय होगा।
शरद पूर्णिमा दिन से शरद ऋतु यानी सर्दियों की शुरूआत होती है। इसलिए इस दिन को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। हिन्दू धर्म में शरद पूर्णिमा की रात को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। वहीं वैज्ञानिक तौर पर भी इस दिन श्रेष्ठ माना गया है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन चन्द्रमा से विशेष प्रकार की ऊर्जा धरती पर आती है, इस रात चन्द्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण हो धरती पर अमृत वर्षा करता है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार माना जाता है कि शरद पूर्णिमा को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी प्रथ्वी पर भ्रमण के लइए आते है। और जो लोग रात भर जागरण कर रहे होतें है। उनपर काफी कृपा बरसाते है। नारद पुराण के अनुसार माना जाता है कि इस दिन माँ लक्ष्मी का जन्म हुआ था। इसके साथ ही वह उल्लू वाहन में बैठकर पृथ्वी के भ्रमण में भी निकलती है। माँ देखती है कि रात के समय कौन जग रहा है और कौन नहीं। इस रात जगकर जो भी माँ की उपासना करते है उनके ऊपर माँ की असीम कृपा होती है। साथ ही यह व्रत लक्ष्मी जी को प्रसन्न करता है। श्रीमद्भागवत के दशम स्कन्द में रास पंचाध्यायी में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा इसी शरद पूर्णिमा को यमुना पुलिन में गोपिकाओं के साथ महारास के बारे में बताया गया है।
वहीं ये भी मान्यता है कि आज रात खीर बनाकर बाहर खुले स्थान पर रखने से खीर में अमृत के औषधीय गुण आ जाते हैं और इस खीर का सेवन करने से अनेक बीमारियां दूर होती हैं। अनेक संस्थाएं और आयुर्वेद चिकित्सक आज के दिन बनने वाली खीर में औषधि मिलाकर इसके सेवन से श्वास संबंधी बीमारियों के उपचार का दावा करते हैं।
शरद पूर्णिमा आज- 30 वर्ष बाद बन रहा दुर्लभ योग
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