भ्रष्टाचार है पांव पसारे, मेरे देश में
घर-घर में है बैठा दानव, हर इक भेष में
कहीं पे झगड़ा कहीं पे दंगा, रोज हुआ करते हैं
दीन-हीन मजलूमों का वो, खून पिया करते हैं
क्या होगा भगवान न जाने, मेरे देश में
घर-घर में है बैठा दानव, हर इक भेष में
कहीं पे नारी बिकती है तो, कहीं पे अस्मत लुटती
कहीं पे बढ़ती मांग के कारण, दम अबला की घुटती
क्यों सब हैं अनजान न जाने, मेरे देश में
घर-घर में है बैठा दानव, हर इक भेष में
लूट-खसोट मची है पल-पल, कोई कहीं न सुनता
जेबें ढीली करो अगर तुम, बिगड़ा काम भी बनता
कब होगा कल्याण न जाने, मेरे देश में
घर-घर में है बैठा दानव, हर इक भेष में
मार भगा दें इस दानव को, लौट के फिर न आए वो
मिले सफलता उन्हें हमेशा, कर्त्तव्य मार्ग अपनाए जो
देना होगा ध्यान सभी को, मेरे देश में
घर-घर में है बैठा दानव, हर इक भेष में
-राम सेवक वर्मा
विवेकानंद नगर,पुखरायां,
कानपुर देहात, उत्तरप्रदेश
संपर्क- 9454344282