तू ही विष है,
तू ही सुधा,
मुझे भी अमृतमयी कर दो,
मुझे शिवानी कर दो!
तू ही सृजन है,
तू ही शमन,
मुझे भी अमर कर दो,
मुझे शिवानी कर दो!
तू ही अर्ध्य,
तू ही हवन,
मुझे भी वंदना कर दो,
मुझे शिवानी कर दो!
तू ही तृप्ति,
तू ही क्षुधा,
मुझे भी आंनदित कर दो,
मुझे शिवानी कर दो!
तू ही सत्य है,
तू ही विचार,
मुझे भी असीमित कर दो,
मुझे शिवानी कर दो!
तू ही अभ्रक,
तू है ज्योति,
मुझे भी सुंदर कर दो,
मुझे शिवानी कर दो!
तू ही झील है,
तू ही नील,
मुझे भी नीलिमा कर दो,
मुझे शिवानी कर दो!
तू ही आग्रह,
तू ही अबीर,
मुझे भी पीर कर दो,
मुझे शिवानी कर दो!
तू ही आदि,
तू ही अंत,
मुझे भी अंनत कर दो,
मुझे शिवानी कर दो!
-सीमा कपूर चोपड़ा