कुछ कमी सी है- निशांत खुरपाल

कुछ कमी सी है, जो खल रही है,
मेरे अंदर एक उदासी, बरसों से पल रही है
थोड़ी देर तो बैठ, फिर बेशक चले जाना,
यार अभी तो मेरी सांसे चल रही हैं

इश्क़ में इश्क़ को रोते देखा है,
मैंने पत्थरों में भी इश्क़ होते देखा है,
ज़ुबां से ही तो सब कुछ बयां नहीं होता,
मैंने इशारों से भी इश्क़ होते देखा

कुछ वक़्त रहकर, बुरा वक़्त भी टल जाता है,
मुश्किल आने पर कई बार, खोटा सिक्का भी चल जाता है,
कहने को तो ये ज़माना, तेरा अपना है ‘खुरपाल’,
पर वक़्त आने पर ज़माना भी, ज़माने सा बदल जाता है

वो मेरा नहीं है, फिर भी मुझे सोगवार होने नहीं देता,
खुद भी नहीं करता, किसी दूसरे को भी मुझसे प्यार होने नहीं देता,
वो मेरी कमियों से, पूरी तरह वाकिफ़ है फिर भी,
मुझे आबाद भी नहीं करता, और बर्बाद भी होने नहीं देता

-निशांत खुरपाल ‘काबिल’
अध्यापक, कैंब्रिज इंटरनेशनल स्कूल,
पठानकोट
संपर्क- 7696067140
ईमेल- [email protected]