कुछ तो है- प्रीति चतुर्वेदी

कुछ तो है जो अब अधूरी नहीं
कुछ कमी जो पूरी नहीं
कुछ एहसास जो ख़तम नहीं
कुछ अल्फ़ाज़ जो कहे नहीं
कुछ लम्हें जो जिये नहीं
कुछ ख़्वाब जो अब आंखों में नहीं
कुछ तो है जो अब अधूरी नहीं
कुछ कमी जो पूरी नहीं

कुछ आंसू जो थमे नहीं
कुछ गम जो गए नहीं
कुछ खुशी जो रुकी नहीं
कुछ नकामबयाबी हमेशा रही नहीं
कुछ मुश्किलें अब मुश्किल नहीं
कुछ तो है जो अब अधूरी नहीं
कुछ कमी जो पूरी नहीं

कुछ रास्ते जो अभी तय किए नहीं
कुछ फासले जो अभी भरे नहीं
कुछ मंजिले जो मिली नहीं
कुछ जख्म जो सूखे नहीं
कुछ कर्ज जो उतारे नहीं
कुछ फ़र्ज़ जो निभाए नहीं
कुछ अर्ज़ अभी किया नहीं
कुछ मर्ज़ की दवा नहीं
कुछ तो है जो अब अधूरी नहीं
कुछ कमी जो पूरी नहीं…

कुछ रास्ते जिनका कोई ठिकाना नहीं
कुछ नदियां जिनका कोई किनारा नहीं
कुछ पंख जिनकी उड़ान नहीं
कुछ रंग जिनकी छाप नहीं
कुछ ढंग जो कभी सुधारा नहीं
कुछ जंग ज़िन्दगी के जीते नहीं
कुछ तरीके जो बदले नहीं
कुछ तो है जो अब अधूरी नहीं
कुछ कमी जो पूरी नहीं

कुछ नकल जो की नहीं
कुछ अक्ल हर जगह प्रयोग होती नहीं
कुछ रिश्ते जिनकी समझ नहीं
कुछ अपने अब अपने नहीं
कुछ अजनबी अब अजनबी नहीं
कुछ सवाल जो सुलझे नहीं
कुछ बवाल जो उलझे नहीं
कुछ तो है जो अब अधूरी नहीं
कुछ कमी जो पूरी नहीं

ज़िंदगी फिर भी उदास नहीं
क्योंकि ये कहती है
ये सिलसिला अभी खत्म नहीं,
अभी खत्म नहीं

-प्रीति चतुर्वेदी