पेड़-पौधों की कविताएँ- जसवीर त्यागी

पेड़-पौधे भी
कविताएँ रचते हैं

उनकी कविताओं के
आस्वादन हेतु
तुम्हें उनके करीब जाना होगा

तुम अगर
उनकी कविताओं की
तारीफ़ न भी करोगे
तो भी वे तुम्हें

अपने संबंध की सुगंध से
वंचित नहीं करेंगे

मनुष्य ने अपनी कविताओं का
मोल रखा है

पेड़-पौधों ने अपनी कविताओं को
बेमोल रखा है

-जसवीर त्यागी