तुम्हारी आँखें- जसवीर त्यागी

तुम्हारी सुंदर आँखें
सिर्फ़ आँखें नहीं हैं
वे घर भी हैं
किसी प्यार करने वाला का

तुम्हारी आँखों के
आशियाने तले आकर
मैं दुनिया के सारे दुःख-दर्द
भूल जाता हूँ

जब वे
प्यार से देखती हैं मुझे
मेरे गमों के समुद्र सूखते चले जाते हैं

जैसे सुनहरी धूप
हर लेती हैं
सघन अंधकार
वैसे ही तुम्हारी आँखें
हर पीड़ा को परे धकेल देती हैं

पता नहीं कैसा जादू है?
इन आँखों में
जो मुझमें जीने की
ललक भर देती हैं

और मैं नई ऊर्जा और शक्ति को लेकर
निकल पड़ता हूँ

जीवन की
अगली लड़ाई जीतने के लिए

-जसवीर त्यागी