मजदूर, किसान है नाम रे- आशुतोष आशु

है भारत की आत्मा ये
पहने ईमान की ताज़ है
मजबूरी से है नाता इनका
मजदूर, किसान है नाम रे

पसीने से हैं सींचते अपने
भारत के सोने का साज ये
है न किसी को फ़िकर इनकी
मरते कटते है, जब आज रे

कंधे पे लिये भारत की रथ
दौड़ते थकते न बलवान ये
है सवार इन रथ पे सब
नेता, राजनीति व व्यापार रे

है बुन रहे ये भविष्य भारत का
काटे जा रहे इनके आज रे
मजबूरी से है नाता इनका
मजदूर, किसान है नाम रे

-आशुतोष आशु